ओलंपिक 2036: भारत का मिशन टॉप 5 – ₹50,000 स्टाइपेंड से बदलेगा पदक का इतिहास?

अतीत एक स्थिति है – ओलंपिक में भारत का सफर।

अगर भारत के ओलंपिक की बात करें तो ये किसी काले सफ़र से कम नहीं है, शुरुआती दिनों में मेडल जीतना भी किसी सपने से कम नहीं था। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने फर्स्ट डिवीज़न गोल्ड जीता और उसके बाद 2012 के लंदन ओलंपिक ने भारत को 6 मेडल दिलाए – भारत हमेशा से ही ग्लोबल पावर हाउस से काफ़ी पीछे रहा है।

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भविष्य का लक्ष्य – 2036 ओलंपिक में टॉप 5 बनना।

अब सरकार का ध्यान 2036 तक भारत को शीर्ष (top) 5 पदक विजेता बनाने पर है, इसके लिए सरकार अलग-अलग रणनीति बना रही है। इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि 3000 एथलीटों को पचास हज़ार रुपये प्रति महीने का वजीफा (stipends) दिया जा रहा है, जिससे उनकी ट्रेनिंग और तैयारी में बहुत आसानी होगी और भारत ओलंपिक के लिए तैयार हो सकेगा।

सरकार की पहल – सिर्फ घोषणा नहीं, कार्रवाई भी।

  1. TOPS (Target Olympic Podium Scheme):
    यह योजना अभिजात (elite) वर्ग के एथलीटों को अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण, फिजियोथेरेपी, पोषण और एक्सपोजर देती है।
  2. Grassroot Development:
    गांवों और स्थानीय लेवलर्स पोस्ट सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है, स्कूल और कॉलेज लेवलसी एथलीटों की पहचान की जा रही है |
  3. Police & Defence Sports Promotion:
    गृह मंत्री अमित शहाणे ने सुझाव दिया कि पुलिस और कल्याण विभाग के लोगों को सुबह के व्यायाम की तरह खेल को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए।
  4. Infrastructure & Hosting:
    भारत ने 2036 ओलंपिक की मेजबानी के लिए अनौपचारिक रूप से बोली लगाई है, जिससे बुनियादी ढांचे, अर्थव्यवस्था, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और भारत वैश्विक सुर्खियों में भी आएगा।
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आर्थिक प्रभाव – विकास इंजन के रूप में खेल |

  • खेल पारिस्थितिकी (ecosystem) तंत्र बनने से, अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के निजी प्रायोजन और खेल पर्यटन में भारी उछाल आएगा।
  • एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित एथलीट न केवल पदक लाता है, बल्कि ब्रांडिंग और राजस्व भी लाता है और देश को दुनिया के सामने एक ब्रांड के रूप में प्रस्तुत करता है।
  • खेलों का समावेश, शिक्षा और रोजगार नीतियों में नई नौकरियां पैदा करेगा – कोच, फिजियोथेरेपिस्ट, इवेंट मैनेजर, आदि।

अच्छी तरह से प्रशिक्षित एथलीटों का विकास – एक वैज्ञानिक प्रक्रिया

  • Training Centers: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय खेल केंद्र विश्व स्तरीय सुविधाएं बन रहे हैं और वे अपनी विश्व स्तरीय सुविधाओं से लाभान्वित हो रहे हैं।
  • Data-Driven Approach: आधुनिक उपकरण एथलीट के अच्छे जच्च हो पा रहे हैं, अन्य एथलीट के प्रदर्शन और चोट ट्रैकिंग और रिकवरी विज्ञान का उपयोग बड़ा दिया गया है।
  • International Exposure: सरकार प्रतिस्पर्धा के लिए नियमित विदेशी परिसरों के बजट को मंजूरी दे रही है, इससे एथलीटों को विदेशी अनुभव मिल रहा है और उनकी प्रतिस्पर्धा सामने आ रही है।

भारत 2036 ओलंपिक की मेजबानी कर रहा है – सिर्फ इवेंट नहीं, एक विजन

  • ओलंपिक का आयोजन न केवल गौरव का क्षण है, बल्कि एक आर्थिक और कूटनीतिक घटना भी है जो कुछ क्षेत्रों में आर्थिक इंजन बन जाती है।
  • भारत को एक देश के रूप में ओलंपिक से लाभ मिलेगा और वैश्विक पर्यटन , ब्रांडिंग से प्रेरणा के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत का मुख्य लक्ष्य 2036 तक खेल महाशक्ति बनना है।

क्या भारत तैयार है ओलंपिक गौरव के लिए?

यह वजीफा (stipend) पहल एक सकारात्मक कदम प्रतीत होती है, लेकिन इसके लिए सुसंगत नीति, जवाबदेही और बुनियादी ढाँचे में निवेश की आवश्यकता है। सरकार का दृष्टिकोण दूरदर्शी प्रतीत होता है, लेकिन परिणाम तभी मिलेंगे जब जमीनी स्तर से लेकर उच्च स्तर तक खेल संस्कृति का निर्माण होगा और इससे भारत को खेलों में एक महाशक्ति बनने में मदद मिलेगी।

2036 तक सिर्फ एक साल नहीं है, यह एक मिशन है और हर स्तर पर टिप्पणी करें तो भारत भविष्य में पदकों के माध्यम से ही निर्यात क्रांतियां करेगा।

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